आज के समय में डायबिटीज होना आम बात है। मधुमेह के कारण रोगी का अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता तथा शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देती।
डायबिटीज के रोगी के शरीर में इंसुलिन बनना बंद या कम हो जाता है। जिसकी वजह से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है।
इसके कारण बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना और भूख ज्यादा लगना आदि समस्याएं उत्पन्न होती है। शुगर रोगी को भूख भी ज्यादा लगती है|
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अनुचित खानपान, व्यायाम न करना, अत्यधिक तनाव और शारीरिक एक्टिविटी आदि कारणों से शरीर में त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ असंतुलित हो जाते हैं। जो कि डायबिटीज का मुख्य कारण होता है।यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होता है। इसमें हम जो कुछ भी खाते हैं। वह ग्लूकोज में परिवर्तित होकर ब्लड के द्वारा शरीर में फैल जाता है।
अनुचित खानपान, व्यायाम न करना, अत्यधिक तनाव और शारीरिक एक्टिविटी आदि कारणों से शरीर में त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ असंतुलित हो जाते हैं। जो कि डायबिटीज का मुख्य कारण होता है।यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होता है। इसमें हम जो कुछ भी खाते हैं। वह ग्लूकोज में परिवर्तित होकर ब्लड के द्वारा शरीर में फैल जाता है।
डायबिटीज के मुख्य दो प्रकार होते है टाइप-1 व 2, टाइप-1 डायबिटीज में शरीर के इंसुलिन बनाने वाले सेल्स पूरी तरह डैमेज हो जाते हैं। इन्हें मैनेज नहीं किया जाना मुश्किल हो सकता है।
एक व्यस्क व्यक्ति को नियमित 2000 कैलोरी आहार पर 25 ग्राम फाइबर का सेवन अवश्य करना चाहिए। इसके लिए भोजन में मिलेट्स,हरी मटर, साबुत या मोटे अनाज, छिलके सहित एप्पल, दलिया, सलाद आदि को शामिल करें। नियमित प्रचुर मात्रा में फाइबर का सेवन करने से आंतें हेल्थी रहती है और वजन भी नियंत्रित रहता है।
एक व्यस्क व्यक्ति को नियमित 2000 कैलोरी आहार पर 25 ग्राम फाइबर का सेवन अवश्य करना चाहिए। इसके लिए भोजन में मिलेट्स,हरी मटर, साबुत या मोटे अनाज, छिलके सहित एप्पल, दलिया, सलाद आदि को शामिल करें। नियमित प्रचुर मात्रा में फाइबर का सेवन करने से आंतें हेल्थी रहती है और वजन भी नियंत्रित रहता है।
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