छाल रोग का घरेलू इलाज (Psoriasis treatment at home in hindi)
सोराइसिस त्वचा संबंधी एक ऐसी बीमारी है इसे छाल रोग या अपरस भी कहा जाता है। जिसका अभी तक पूरा इलाज संभव नहीं है लेकिन सही देखभाल और कुछ घरेलू उपचार से सोराइसिस का रोगी सामान्य जिंदगी जी सकता है निरोगी हेल्थ के इस लेख में जानेंगे सोराइसिस क्या है इसके लक्षण कारण व सोराइसिस कितने प्रकार के होते हैं और सोराइसिस का घरेलू उपचार (Psoriasis ka gharelu upchar in hindi) क्या है आइए जानते हैं सोरायसिस का घरेलू इलाज क्या है Psoriasis ka gharelu upchar kya hai in hindi
सोराइसिस क्या है (What is Psoriasis in hindi)
यह बीमारी किसी भी उम्र में विभिन्न रूपों से शुरू हो सकती है। इसका सबसे सामान्य रूप प्लाक सोरायसिस कहलाता है। यह लाल धब्बों के रूप में शरीर के किसी भी हिस्से में प्रकट हो सकता है। इस के धब्बे विभिन्न आकार के होते हैं लेकिन इन के किनारे साफ होते हैं। कुछ रोगियों को इन हिस्सों में गंभीर खुजली होती है, लेकिन अक्सर ज्यादातर लोगों को खुजली या दर्द नही होता।
इस रोग में होने वाले धब्बे सूखे होते हैं इनमे किसी प्रकार का रिसाव नही होता है। इस रोग में शरीर का कोई भी हिस्सा प्रभावित हो सकता है लेकिन खोपड़ी, कुहनी, घुटनों और सीने पर यह अधिक होता है सामान्यतः यह चेहरे पर नहीं होता है। सोराइसिस रोग से करीब एक प्रतिशत आबादी प्रभावित है और कुछ परिवारों में सोराइसिस अधिक पाये जाने की प्रवृत्ति होती है।
Table of Contents
- 1 छाल रोग का घरेलू इलाज (Psoriasis treatment at home in hindi)
- 2 सोराइसिस क्या है (What is Psoriasis in hindi)
- 3 सोराइसिस के लक्षण (Psoriasis symptoms in hindi)
- 4 सोराइसिस के कारण (Causes of psoriasis in hindi)
- 5 सोराइसिस के प्रकार (Type of psoriasis in hindi)
- 6 सोरायसिस का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Treatment for psoriasis in hindi)
- 7 सोराइसिस रोग में जीवनशैली (Life style for psoriasis in hindi)
- 8 FAQ
कॉस्मेटिक समस्या होने के अलावा रोगी इससे परेशान नहीं होता है। अधिकतर रोगियों में गर्मी के दौरान रोग में सुधार होता है और कभी-कभी तो इसके धब्बे पूरी तरह से गायब भी हो जाते हैं। लेकिन सर्दियों के मौसम में यह बीमारी दोबारा हो जाती है हालांकि कभी-कभी कुछ सालों तक बीमारी दोबारा नहीं भी होती है। कुछ रोगियों में मौसम का कोई प्रभाव नही पड़ता। इस बीमारी का स्थायी इलाज नहीं है।
सोराइसिस के लक्षण (Psoriasis symptoms in hindi)
सोरायसिस में त्वचा की नई परत बन जाती है जो सुखी, खुजली दार वह पपड़ीदार होती है और लाल चकत्ते या चमकीले धब्बों के रूप में दिखाई देती है। इस रोग के होने के त्वचा पर कुछ लक्षण भी दिखाई देते हैं जैसे
- स्किन पर सूजन या लाल चकते होना
- त्वचा में रूखापन आना और दरारे पढ़ना
- सोरायसिस में त्वचा से पपड़ी उतरती रहती है तथा त्वचा में सूजन भी आ सकती है
- कभी-कभी जोड़ों में दर्द व सूजन होना भी सोरायसिस का लक्षण होता है।
सोराइसिस के कारण (Causes of psoriasis in hindi)
यह रोग मुख्यतः शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के कारण होता है।
- सोराइसिस एक प्रकार की अनुवांशिक बीमारी भी होती है जो परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी एक दूसरे को होती रहती है।
- यह रोग वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है।
- किसी जहरीले जीव जंतु या मधुमक्खी आदि के काटने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- उच्च रक्तचाप या शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- अत्यधिक दवाओं के सेवन के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- अत्यधिक धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन करने से भी सोराइसिस रोग हो सकता है।
सोराइसिस के प्रकार (Type of psoriasis in hindi)
- यह रोग कई प्रकार का होता है लेकिन सोराइसिस के अधिकतर मामले प्लाक सोराइसिस के ही होते हैं। इस रोग के अन्य प्रकार है जैसे
प्लाक सोराइसिस
- इसमें स्केलिंग के साथ लाल धब्बे (चकते) शरीर मे कहीं भी हो सकते हैं इनकी पपड़ी बहुत पतली होती हैं और आसानी से त्वचा से गिर जाती है। इसके सूखे धब्बों से कोई रिसाव व दर्द नही होता है।
गटेट सोराइसिस
- इसमें लीजन छोटे और बार बार प्रकट होते रहते है यह आकार में बहुत छोटे (वर्षा की बूंद जैसे) होते हैं।
पस्चुलर सोराइसिस
- इसमें रोगी को मवाद वाली फुंसियां अकेले या झुंड में निकलती रहती है और वहाँ का क्षेत्र जलन के साथ लाल भी हो जाता है। इस प्रकार के सोराइसिस के बढ़ने से यह गंभीर रूप धारण कर लेता है।
इनके अलावा भी इस रोग के कई प्रकार होते हैं।
सोरायसिस का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Treatment for psoriasis in hindi)
हल्दी का प्रयोग
हल्दी में एंटीबायोटिक व एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इसलिए त्वचा संबंधी समस्याओं का इलाज करने में हल्दी का प्रयोग किया जा सकता है। सोरायसिस का घरेलू उपचार करने (Psoriasis ka gharelu upchar in hindi) के लिए हल्दी के पाउडर में गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाएं और 15 से 20 मिनट बाद सादे पानी से धो लें।
यह प्रयोग सप्ताह में 3 बार करने से लाभ मिलता है। हल्दी में लालिमा और सूजन को कम करने के गुण पाए जाते हैं और यह दर्द में भी राहत दिलाने में उपयोगी होती है।
एलोवेरा का प्रयोग
एलोवेरा में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं इसलिए इसका उपयोग त्वचा विकारों के उपचार में किया जाता है। यह स्किन को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करने का काम करता है और सोरायसिस के धब्बों को हल्का करने में भी यह मददगार होता है।
एलोवेरा के ताजे पत्ते से जैल को निकाल कर इसको प्रभावित स्थान पर लगाएं और एक घंटा बाद सादे पानी से धोएं ऐसा नियमित करने से इस रोग में फायदा मिलता है। यह पढें- एलोवेरा के फायदे ओर नुकसान
मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग
मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग त्वचा पर होने वाले दाग-धब्बों, खुजली, सोराइसिस जैसी समस्याओं के प्रभाव को कम करने और त्वचा की कोशिकाओं के लिए भी फायदेमंद होती है।
सोराइसिस के चकतों पर मुल्तानी मिट्टी में नारियल तेल और शहद मिलाकर लगाने से चकतों की लालिमा, सूजन व रूखापन को कम करने में मदद मिलती है। और इसके धब्बों को कम करने व इनसे छुटकारा पाने के लिए मुल्तानी मिट्टी का नियमित प्रयोग करना लाभदायक होता है।
लहसुन का प्रयोग
लहसुन को त्वचा के लिए उपयोगी माना जाता है। इसलिए लहसुन से सोरायसिस का उपचार किया जा सकता है। क्योंकि लहसुन सोरायसिस के बैक्टीरिया को पनपने से रोककर इससे राहत दिलाने में मददगार होता है। इसके लिए कच्चे लहसुन का रस निकाल कर इसमें एलोवेरा जेल और मुल्तानी मिट्टी मिलाकर पेस्ट बनाकर प्रभावित त्वचा पर लगाकर आधा घंटा के लिए छोड़ दे आधा घण्टा बाद त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।
ऐसा नियमित करने से सोरायसिस रोग में लाभ मिलता है। इसके अलावा लहसुन का तेल भी सोरायसिस रोग में फायदेमंद माना जाता है। यह पढें- लहसुन खाने के फायदे
फिटकरी का प्रयोग
फिटकरी पानी साफ करने के साथ-साथ त्वचा को भी साफ करने में उपयोगी होती है। इसलिए नियमित नहाने के पानी में फिटकरी और नींबू डालकर नहाने से त्वचा पर होने वाले इंफेक्शन या सोरायसिस में होने वाली खुजली और रूखापन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
इसके अलावा फिटकरी को पानी से भिगोकर प्रभावित त्वचा पर नियमित रगड़ने से भी सोराइसिस में राहत मिलती है। तथा इस रोग में स्किन पर होने वाले धब्बों से छुटकारा दिलाने में फिटकरी काफी मददगार होती है।
नीम का तेल
सोरायसिस रोग के उपचार के लिए नीम के पत्ते या नीम के तेल का उपयोग किया जाना लाभदायक होता है। क्योंकि नीम का तेल त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में दवा की तरह काम करता है क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रभाव होते हैं जो सोरायसिस संबंधी बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करने में मददगार होते हैं। साथ ही नीम के पत्ते सोरायसिस के इलाज में काफी कारगर होते हैं।
नीम के पत्तों का उपयोग खून साफ करने का भी अच्छा उपाय होता है। इससे स्किन पर होने वाली दाद, खाज, खुजली, इंफेक्शन व एलर्जी जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है। नीम का तेल पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसका उपयोग कई प्रकार के लोशन, क्रीम, साबुन व प्रसाधन सामग्रियों में किया जाता है।
टी ट्री आयल
सोरायसिस रोग का इलाज करने के साथ-साथ स्किन सम्बंधी समस्याओं का इलाज करने में भी टी ट्री तेल लाभदायक माना जाता है। इस तेल में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी पाया जाता है जो सूजन से छुटकारा दिलाने में मददगार होता है।
सोरायसिस से छुटकारा पाने के लिए टी ट्री तेल में जैतून का तेल मिलाकर इस तेल को प्रभावित त्वचा पर नियमित लगाने से लाभ मिलता है। इस तेल को नियमित त्वचा पर लगाने से त्वचा का रूखापन दूर होकर स्किन मुलायम और चमकदार बनाने में भी मदद मिलती है।
नारियल तेल
नारियल के तेल को त्वचा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसके उपयोग से सोरायसिस रोग को कम किया जा सकता है। इसके लिए नारियल के तेल में पाया जाने वाला एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण सहायक होता है।
इस रोग में नारियल के तेल की कुछ बूंदे नियमित सुबह शाम प्रभावित स्किन पर लगाने से सोरायसिस रोग में फायदा मिलता है। और नियमित यह तेल लगाने से इसके धब्बों से पपड़ियां उतरना कम होने के साथ इसके धब्बे भी गायब होने लगते हैं।
जैतून का तेल
एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल यानी जैतून का तेल भी त्वचा संबंधी सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में कारगर माना जाता है। सोरायसिस रोग के उपचार के लिए जैतून का तेल एक अच्छा विकल्प हो सकता है। क्योंकि सोराइसिस एक इन्फ्लेमेटरी डिजीज है जिससे छुटकारा दिलाने में जैतून के तेल में पाया जाने वाला फेनोलिक योगिक मदद कर सकता है।
यह तेल स्किन पर एंटी इम्फ्लेमेट्री प्रभाव को दर्शाता है इसलिए जैतून के तेल को सोरायसिस से प्रभावित त्वचा पर लगाकर छोड़ दे ऐसा नियमित दिन में दो से तीन बार करने से लाभ मिलता है। यह पढें- त्वचा रोग का घरेलू इलाज
करेले का ज्यूस
स्किन सम्बंधी होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने के साथ साथ करेले का ज्यूस पेट से जुड़े तमाम रोगों से छुटकारा दिलाने में भी उपयोगी माना जाता है। नियमित सुबह खाली पेट इस ज्यूस का सेवन करने से सोराइसिस रोग में फायदा मिलता है।
त्वचा इंफेक्शन में राहत पहुंचाने व सोराइसिस के धब्बों को कम करने में भी करेला मददगार होता है। करेले के ज्यूस का सेवन करने से मधुमेह रोग को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
सोराइसिस रोग में जीवनशैली (Life style for psoriasis in hindi)
सोराइसिस का घरेलू उपचार (Psoriasis ka gharelu upchar in hindi) करने के साथ साथ सोरायसिस के रोगियों को न तो किसी प्रकार की सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और न ही किसी चीज की मनाही होती है। इसके रोगी को नियमित रूप से सामान्य साबुन और शैंपू से अपनी त्वचा और बालों को अच्छी तरह से साफ करते रहना चाहिए व अपनी पसंद का भोजन करना चाहिए।
इसमें आहार संबंधी कोई भी परहेज नहीं होता है। इस रोग में शरीर के अंदरुनी अंगों की किसी प्रकार की क्षति के बारे में नहीं डरना चाहिए। क्योंकि इसका रोगी सामान्य जिंदगी जी सकता है उसे किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
FAQ
Q 1. सोरायसिस बीमारी क्यों होती है?
Ans इस रोग के होने का मुख्य कारण है जब हमारा रोग प्रतिरोधक तंत्र स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है। इससे स्किन की कई कोशिकाएं बढ़ जाती है जिससे त्वचा पर सूखे व टाइट चकते बन जाते हैं क्योंकि इससे त्वचा की कोशिकाएं त्वचा की ऊपरी स्तर पर बन जाती है जिसके कारण यह बीमारी होती है।
Q 2. सोरायसिस बीमारी में क्या नहीं खाना चाहिए?
Ans वैसे तो इस बीमारी में किसी भी चीज को खाने की मनाही नहीं होती है लेकिन कुछ चीजें ऐसी है जिनको खाने से स्किन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिन लोगों को स्किन एलर्जी या सोरायसिस की समस्या हो उनको बैंगन नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा ज्यादा तीखी या तली चीजें व अधिक मिर्च मसाले खाने से भी बचना चाहिए।
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