खूनी बवासीर का घरेलू इलाज ( Khooni bawaseer ka desi ilaj) Hemorrhoids treatment in hindi
खूनी बवासीर (Khuni bawasir) होने का मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या, खानपान व कब्ज है। आयुर्वेद के कुछ उपायों में खूनी बवासीर का रामबाण इलाज है। इसलिए आप अपने खानपान और दिनचर्या में कुछ बदलाव करके और इन कुछ घरेलू उपायों (Khooni bawaseer ka upchar) को करके पाइल्स खूनी बवासीर का इलाज (Bleeding hemorrhoids treatment in hindi) कर सकते हैं इस लेख में जानेगे खुनी बवासीर क्या है इसके लक्षण, कारण और खुनी बवासीर का घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज क्या है आइये जानते है खूनी बवासीर का रामबाण इलाज Khooni bawaseer ka gharelu upay
बवासीर क्या है (Khooni bawaseer kya hai)
बवासीर या पाइल्स से पीड़ित व्यक्ति के गुदा के अंदर व बाहर मस्सें बन जाते हैं। इन मस्सों से खून भी निकलता रहता है। मल त्यागते समय तेज दर्द के साथ खून का बहाव भी तेज होता है और नसों में सूजन भी आ जाती है। खूनी बवासीर की समस्या में उठने, बैठने, चलने, फिरने, दैनिक जीवन के कार्यों को करते समय दर्द का सामना करना पड़ता है एवं मल त्यागने में भी कठिनाई उत्पन्न होती है।
Table of Contents
- 1 खूनी बवासीर का घरेलू इलाज ( Khooni bawaseer ka desi ilaj) Hemorrhoids treatment in hindi
- 2 बवासीर क्या है (Khooni bawaseer kya hai)
- 3 बवासीर रोग होने के कारण (Khooni bawaseer ka karan)
- 4 खूनी बवासीर के लक्षण (Khuni bawasir ke lakshan)
- 5 खूनी बवासीर के आयुर्वेदिक उपाय (Khooni bawaseer ka ayurvedic upchar)
- 6 खूनी बवासीर से बचने के उपाय (Khooni bawaseer se kaise bache)
- 7 FAQ
बवासीर रोग होने के कारण (Khooni bawaseer ka karan)
आजकल अनियमित दिनचर्या और खानपान, एक जगह ज्यादा समय तक बैठने, शारिरिक एक्टिविटी आदि न करने के कारण कब्ज की समस्या आम हो गई है। जो कि बवासीर होने का मुख्य कारण है। इस रोग के और भी कारण है जैसे
- पुरानी कब्ज
- मल का कठोर होना
- पाचन क्रिया कमजोर होना
- आँतो का खुश्क व क्षतिग्रस्त होना
- पित का अधिक प्रकोप होना
- अधिक मिर्च मसालों का सेवन करना
- ज्यादा समय एक जगह बैठे रहने वाले लोगो मे भी यह रोग अधिक होता है।
खूनी बवासीर के लक्षण (Khuni bawasir ke lakshan)
इस रोग के होने से शरीर में बहुत से लक्षण होते है जैसे
- गुदा के आसपास खुजली होना
- मल त्यागने की इच्छा बार बार होना
- लगतार कब्ज की शिकायत रहना
- मल त्यागते समय खून आना व जलन होना
- पेट ठीक से साफ न होना
- मल त्यागते वक्त म्यूकस का आना
- गुदा के पास गांठ जैसी होना
- मल त्यागते समय पीड़ा होना
खूनी बवासीर के आयुर्वेदिक उपाय (Khooni bawaseer ka ayurvedic upchar)
त्रिफला गुग्गुल
खूनी बवासीर होने का मुख्य कारण कब्ज होता है। अतः कब्ज से राहत पाने के लिए त्रिफला गुग्गुल एक कारगर औषधि है। कब्ज पाचन तंत्र में गड़बड़ होने के कारण एवं वात दोष के बढ़ने के कारण होती है। गूगल में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाता है। और वात दोष को भी कम करता है। यह मेटाबॉलिज्म की किसी भी प्रकार की समस्या में बहुत उपयोगी है।
इसके साथ ही यह कोलेस्ट्रोल को कम करने, गठिया, मोटापा को कंट्रोल करने के साथ-साथ खूनी बवासीर, सूजन और भगंदर जैसे रोगों का भी नाश (खत्म) करता है। कब्ज व बवासीर या Khooni bawaseer की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला गुग्गुल को गुनगुने पानी के साथ सेवन करना बहुत लाभदायक होता है।
अंजीर
अंजीर का प्रयोग करना भी पेट की समस्या व कब्ज से राहत पाने के लिए रामबाण होता है। अंजीर में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो कि पाचन तंत्र के लिए बहुत जरूरी है। रात को दो से चार अंजीर को पानी में भिगोकर रख दें सुबह उठते ही पानी को पी लेवें व अंजीर को चबाकर खाएं। कुछ दिन नियमित इसका सेवन करने से Khooni bawaseer की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
इसके अलावा रात को सोते समय एक से दो अंजीर और तीन से चार किसमिश को दूध के साथ उबालकर सेवन करना भी पाइल्स की समस्या में लाभदायक होता है। यह पढ़ें ~ अंजीर के फायदे
मंजिष्ठा
आयुर्वेद के अनुसार मंजिष्ठा एक ऐसी जड़ी बूटी है। जिसका उपयोग तरह-तरह की बीमारियों के इलाज में औषधि के रूप में किया जाता है। यह विष, कफ रोग, सूजन, योनि रोग, नेत्र रोग, कान के रोग, कुष्ठ, रक्त दोष, प्रमेह, मधुमेह, यूरिनरी इनफेक्शन, पाइल्स, खूनी बवासीर, अर्श, भगंदर आदि रोगों को ठीक करने में बहुत ही कारगर जड़ी-बूटी होती है।
ज्यादा तीखा मसालेदार व तेज मिर्ची खाने से पाचन संबंधी समस्याए होने के कारण कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है। जो बवासीर का कारण बनती है। खूनी बवासीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए मंजिष्ठा को घी में पकाकर इसकी 5 ग्राम की मात्रा का सेवन नियमित करना चाहिए जिससे पाइल्स की समस्या से छुटकारा मिलता है।
हरीतकी (हरड़)
हरित की संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद होती है। यह मुख्य रूप से कब्ज, खूनी बवासीर, पेट के कीड़ों की समस्या, नेत्र रोग, पाचन संबंधी समस्याएं, भूख बढ़ाने तथा अलग-अलग मौसमी बीमारियों से बचाने में भी प्रभावी होती है। इसका सेवन करने का तरीका हर रोगों के लिए अलग-अलग होता है।
हरड़ को उबालकर खाने से दस्त में राहत मिलती है। और भूनकर खाने से त्रिदोष का नाश करने में व भोजन के साथ हरड़ खाने से बुद्धि में वृद्धि होती है। भोजन करने के बाद इसका सेवन करने से पेट संबंधी समस्याएं जड़ से खत्म होती है। और Khooni bawaseer की समस्या होने पर इसका काढ़ा बनाकर पीना चाहिए तथा पाइल्स के मस्सों को इससे धोने से भी लाभ मिलता है।
अर्शकल्प
अर्शकल्प वटी का उपयोग Khooni bawaseer बवासीर, पुरानी कब्ज और गैस से संबंधित विकारों में किया जाता है। यह खूनी और वादी दोनों तरह की बवासीर में लाभदायक होती है। भगंदर और फिस्टुला में भी यह औषधि कारगर सिद्ध हुई है। अर्शकल्प के सेवन से सूजन कम होती है। व खून आना कम हो जाता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट, anti-inflammatory, एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ पाइल्स की समस्या से छुटकारा दिलाती है।
इसके साथ ही इसका सेवन पाचन तंत्र भी सुधारता है। और मल त्याग के समय जोर नहीं लगाना पड़ता दर्द भी नहीं होता और कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसलिए खूनी बवासीर में इसकी दो गोली सुबह दो गोली शाम को गुनगुने जल के साथ सेवन करना लाभदायक होता है।
खूनी बवासीर से बचने के उपाय (Khooni bawaseer se kaise bache)
इस रोग Khooni bawaseer से बचे रहने के लिए डाईजेशन सिस्टम का ठीक रहना जरूरी होता है। खूनी बवासीर से बचने या इसके इलाज (hemorrhoids treatment) के लिए आपको अपने खान-पान और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना बहुत आवश्यक होता है।
इसके साथ आपको ज्यादा तेलिया पदार्थ, मसाले, तेज मिर्ची, जंक फूड, फास्ट फूड, पैकेट फूड आदि चीजों का सेवन कम मात्रा में या नहीं करना चाहिए। पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए और नियमित सुबह शाम दोनों समय थोड़ा-बहुत व्यायाम जरूर करना चाहिए एवं नियमित भोजन करने के बाद सुबह शाम पैदल जरूर चलना चाहिए।
FAQ
Q 1. खूनी बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें?
Ans बवासीर रोग से राहत पाने के लिए कब्ज की समस्या से बचना आवश्यक है। इसके लिए छाछ में हींग व जीरा डालकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके आलावा इसबगोल की भूसी का सेवन करने से भी पेट साफ रहता है और इससे मल की कठोरता भी कम होती है।
Q 2. खूनी बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए?
Ans पाईल्स के रोगी को बाहर का खाने से बचना चाहिए। क्योंकि होटलों या रेस्टोरेंट में मिलने वाले भोजन में अधिक तेल व मसालों का प्रयोग किया जाता है जो पाचन तंत्र को कमजोर करते हैं। जिससे आँतो में सूजन व कब्ज जैसी समस्याएं पैदा होती है।
Q 3. खूनी बवासीर क्यों होता है?
Ans आज के समय अधिक मात्रा में फ़ास्ट फ़ूड जंक फ़ूड ज्यादा मिर्च मसाले व तेलीय पदार्थो का प्रयोग बढ़ने के कारण बवासीर की समस्या अधिक होने लगी है। ज्यादा लंबे समय तक कब्ज रहने के कारण यह रोग होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस आर्टिकल में हमने जाना Khooni bawaseer क्या है इस रोग के लक्षण और कारण क्या है और खुनी बवासीर का घरेलू उपचार व आयुर्वेदिक इलाज (Khooni bawaseer ka gharelu upay) क्या है तथा बवासीर से बचने के उपाय कौन कौन से है। इस लेख के बारे में आपके कोई भी सवाल या सुझाव हो तो आप कमेंट में लिख सकते है।
इस आर्टिकल में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। अतः किसी भी सुझाव को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेवे।
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